Monday, March 26, 2018

वसीयत
-----------

पहली की,
दूसरी की,
तीसरी की,
पीढी दर पीढ़ी की वसीयत,
अन्तर की गहन संक्रामकता,
फैल सकती थी प्रसूति गृह मे भी,
इसीलिए -
जला दिया है मैंने,
उसके पीछे वाली अपनी झोपड़ी।
और तैयार कर ली है,
एक चिता,
पेड़ों की कीड़े खाई टहनियों से,
उनपर की पराऋयी लताओं से,
पुरखों की सड़ी गली किताबों के पन्नों से,
डपोरशॅखी व्यवस्थाओं से,
परम्पराओं, मान्यताओं से,
ताकि मेरी संक्रामकता,
नवागँतुक के आने से पहले ही,
भष्म होकर उसे अछूता छोड़ दे,

No comments: