Friday, March 23, 2018

: फटी रजाई , खाली पेट
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चुनमुन गौरैया की नींद उचाट गयी।

फटी हुई रजाई,
टूटी हुई खाट।
एक ही रजाई मे,
बच्चे ,मां, बाप ।

लगआई भूख,
तो उठ आया चुन्नू।
खाली पेट नींद कहां?
जाग गया पुन्नू।

धूप भिनसार की?
आँगन बुहार गई।
चुनमुन गौरैया की,
नींद उचाट गई।

घर मे हैं पांच में से,
पांच मजदूर,
फिर भी पेट खाली हैं,
भूखे मजबुर।

महंगाई,पेट की -
सारी भूख मार गयी।
चुनमुन गौरैया की,
नींद उचाट गई ।

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